Friday, November 23, 2007

गढवाली लोकोक्तियाँ व मुहावरें (औखाण) : भाग-२

आपके समक्ष कुछ और गढवाली औखाण लेकर प्रस्तुत हुआ हूँ ।
गलती से अगर कोई पुनः लिखा जाये तो क्षमा चाहुँगा ।



  • हाथा की त्येरी, तवा की म्यरी ।


  • लेजान्दी दाँ हौल, देन्दी दाँ लाखड़ु ।

  • कखी डालु ढली, खक गोजु मारी ।

  • जन मेरी गौड़ी रमाण च, तन दुधार भी होन्दी ।

  • स्याल, कुखड़ों सी हौल लगदु त बल्द भुखा नि मरदा क्या ?(मेंढकुं सी जु हौल लगदु त लोग बल्द किलै पाल्दा ?)

  • बुडीड पली ही इदगा छै, अब त वेकु नाती जु हुवेगी ।

  • हैंका लाटु हसान्दु च, अर अपडु रुवान्दु च ।

  • बर्तियुं पाणी क्य बरतण, तापियुं घाम क्य तापण ।

  • बाखुरी कु ज्यू भी नि जाऊ, बाग भी भुकु नि राऊ ।

  • लौ भैंस जोड़ी, नितर कपाल देन्दु फ़ोड़ी ।

  • जख मेल तख खेल, जख फ़ूट तख लूट ।

  • लगी घुंडा, फ़ूटी आँख ।

  • जख सोणु च तख नाक नि च, जख नाक च तख सोणु नि च ।

  • जाणदु नि च बिछी कु मंत्र, साँपे दुली डाल्दु हाथ ।

  • तू ठगानी कु ठग, मी जाति कु ठग ।

  • ठुलो गोरू लोण बुकाओ,छोटु गोरू थोबड़ु चाटु।

  • लूण त्येरी व्वेन नी धोली,आंखा मीकु तकणा।

  • भुंड न बास, अर शरील उदास ।

  • भिंडि खाणु तै जोगी हुवे अर बासा रात भुक्कु ही रै ।

  • अपड़ा जोगी जोग्ता , पल्या गौं कु संत ।

  • बिराणी पीठ मा खावा, हग्दी दाँ गीत गावा ।

  • पैली खयाली छारु(खारु), फ़िर भाडा पोछणी ।

  • ब्वारी खति ना... , सासु मिठौण लग्युं... ।

  • खाँदी दाँ गेंडका सा, कामों दाँ मेंढका सा ।(कामों दाँ आंखरो-कांखरो, खाँदी दाँ मोटो बाखरो ।)

  • खायी ना प्यायी, बीच बाटा मारणु कु आयी ।

  • बांटी बूंटी खाणि गुड़ मिठै, इखुलि इखुलि खाणि गारे कटै।

  • भग्यानो भै काल़ो, अभाग्यू नौनू काल़ो।

  • नोनियाल की लाईं आग , जनाना को देखुयुँ बाघ

  • जै बौ पर जादा सारू छौ वे भैजी भैजी बुन्नी

  • बाग गिजी बाखरी बिटि, चोर गिजी काखड़ी बिटि ।

  • म्यारू नौनु दूँ नि सकुदु , २० पता ख़ूब सकुदु ।

4 comments:

Raj said...

सन्दीप जी आपने जो प्रयास किया है इन सभी गढवाली लोकोक्तियाँ व मुहावरें (औखाण) को यहा प्रस्तुत करने का वह काबिले तारीफ़ है।
इस उत्त्म लेखनी को जारी रखियेगा।
धनयवाद!

अनुनाद सिंह said...

आपने एक बहुत ही सार्थक पहल की है। संस्कृति ऐसा ही जिन्दा रहती है और फलती-फूलती है।

किन्तु इनका छोटा सा अर्थ देते या समतुल्य हिन्दी लोकोक्ति/मुहावरा देते तो और भी अच्छा होता।

जारी रखिये..

Unknown said...

इख़ली जगह पर बल नगतु बस्या अफुई पादया और अफुई हंस्या

Bageshwar News said...

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